V.S Awasthi

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बहना की बिदाई भाई की रुआई

प्रतियोगिता हेतु रचना 
बहना की बिदाई भाई की रुआई
***********%%%ठ%%%%*****
प्यारी बहना की शादी रचाई जो मैंने
जनक को जनक से मिलाया था मैंने
कनक को कनक से सजाया था मैंने 
दूल्हे राजा को दुल्हन सौंपी जो मैंने
नहीं रोक पाया फिर नयनों को अपने
लगी अश्रु धारा फिर नयनों से बहने

बचपन की यादें बनी आज यादें
करी आज बहना की पूरी मुरादें
अब तक जो खुशियां घर में थी छाईं
स्वजनों के नयनों में दिखती रुआई
बाबुल का घर छोड़ चली आज बहना
कनक अब तलक थी मेरे घर का गहना

सजाएगी अब वो पिया के महल को
बसाएगी दिल में ससुराली जन को
सेवा करेगी सजन की अपने दिल से
रहेगी वहां पर सदा सबसे मिल के
पति की बनेगी वो आंखों का तारा
ससुर-सास के भी बुढ़ापे का सहारा

नहीं भूल जाना प्यारे भाई को बहना
मुझे भी तेरे दिल में हरपल है रहना
ये घर है तुम्हारा इसे ना भुलाना
राखी को लेकर बहन घर फिर आना
ये भाई तुम्हारा है करता दुआएं
कभी भी ना कोई विपत्ति तुम पर आएं

विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर

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3 Comments

सुन्दर सृजन

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Varsha_Upadhyay

24-Sep-2023 06:34 AM

Nice 👍🏼

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Reena yadav

23-Sep-2023 05:47 PM

👍👍

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